उत्तर प्रदेश में संभल के शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच में मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग की गई है। यह याचिका सिमरन गुप्ता ने लगाई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जब तक यह तय नहीं होता कि यह जगह मंदिर है या मस्जिद, तब तक वहां किसी भी धार्मिक गतिविधि की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने मस्जिद को सील करने और उसे जिलाधिकारी की निगरानी में देने की भी मांग की है। चंदौसी की अदालत ने इस पर सुनवाई के लिए 21 जुलाई 2025 की तारीख तय की है। याचिकाकर्ता सिमरन गुप्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि जब तक विवादित स्थल का सर्वे और कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक मस्जिद में सामूहिक नमाज पढ़ने पर रोक लगाई जाए। याचिका में दावा किया गया है कि ये स्थल मंदिर परिसर का हिस्सा था और वहां पुरातात्विक प्रमाण भी मौजूद हैं।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि न्यायालय ने इस स्थल को विवादित माना है इसलिए मुसलमानों को भी नमाज अदा करने से रोका जाना चाहिए, जैसे कि वर्तमान में हिंदुओं को पूजा करने से प्रतिबंधित किया गया है। नमाज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका दायर करने वाले वकील बाबू लाल सक्सेना ने बताया कि उनके मुवक्किल सिमरन गुप्ता का मानना है कि अंतिम निर्णय पारित होने तक विवादित स्थल पर किसी भी समूह द्वारा धार्मिक गतिविधि प्रतिबंधित होनी चाहिए।
योगी सरकार का राहत भरा फैसला
शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच भूमि विवाद को लेकर मामला पहले से ही अदालत में विचारधीन है। इस मामले में पिछले साल ट्रायल कोर्ट ने विवादित स्थल का सर्वे करने का आदेश दिया था। जिसे हाईकोर्ट ने सही ठहराया है।
19 नवंबर 2023 को आठ हिंदू याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दावा किया था कि शाही जामा मस्जिद असल में हरिहर मंदिर है। उसी दिन अदालत के आदेश पर वहां पहला सर्वे हुआ और 24 नवंबर को दूसरा। दूसरे सर्वे के दौरान हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गयी थी और 29 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। हिंसा के बाद पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क, मस्जिद समिति के अध्यक्ष जफर अली समेत 2750 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। अब तक 96 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स