UP Politics: उत्तर प्रदेश में गर्मायी सियासत के बीच सीएम योगी की कैबिनेट में शामिल निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने बीजेपी को ही निशाने पर ले लिया। उन्होंने निषाद समाज के आरक्षण की मांग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब बीजेपी अनुच्छेद 370 से लेकर अयोध्या के राम मंदिर निर्माण तक का मुद्दा हल कर सकती है, तो फिर वह निषाद समाज को अनुसूचित जाति में आरक्षण देने से पीछे क्यों हट रही है?
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान यूपी के मत्स्य विभाग संभाल रहे कैबिनेट मंत्री ने कहा कि निषाद समाज की लंबित मांग को बीजेपी को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए, वरना उसे उत्तर प्रदेश के 2027 के विधानसभा चुनाव में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। निषाद समाज की बात करें तो वर्तमान में उनकी गिनती ओबीसी वर्ग में होती है।
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दरअसल, संजय निषाद ने कहा, “बात यह है कि बीजेपी ने सभी समस्याओं का समाधान ढूंढ लिया है, चाहे वह अनुच्छेद 370 हो या सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण हो। जबकि संविधान में इसका वादा नहीं किया गया था। इसके अलावा महिला आरक्षण और यहां तक कि आस्था के विषय यानी राम मंदिर निर्माण का बी बीजेपी ने हल निकाल लिया। फिर मछुआरा समुदाय से किए गए अपने वादे को पूरा करने में उसे क्या बाधा आ रही है।”
संजय निषाद ने कहा है कि बीजेपी ने निषाद उप-जातियों को आरक्षण देने का वादा किया था, जिसके कारण उन्होंने उससे गठबंधन किया, लेकिन अब सरकार में होने के बावजूद उनके लिए अपने समुदाय को इस बात के लिए राजी करना मुश्किल हो रहा है कि इसमें इतनी देरी क्यों हुई। उन्होंने कहा कि हम सरकार का हिस्सा हैं, बस इतना ही। वास्तविक निर्णय लेने का काम भाजपा के पास है, जिसने निषाद समुदाय के लिए अलग दृष्टिकोण अपनाया है।
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संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी ये कहकर आई थी कि भगवान राम को गंगा पार कराने वालों के साथ एसपी और बीएसपी ने गलत किया था। वही निषाद आज सवाल अपने अधिकार का मुद्दा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निषाद समाज को आरक्षण में देने में देरी का नतीजा बीजेपी ने 2024 के विधानसभा चुनाव में भुगता है, क्योंकि एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी से खिसक गया है। अगर ये ऐसा ही रहा तो बीजेपी के लिए आने वाले चुनावों में समस्या बढ़ जाएगी।
यूपी सरकार के मंत्री संजय निषाद पार्टी उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में निषाद समुदाय की आबादी 18 प्रतिशत है। उन्होंने 2019 में इसी वादे पर वोट दिया था। लेकिन 2024 में इंडिया ब्लॉक के झूठे नेरेटिव के चलते बीजेपी को इस समाज का पर्याप्त वोट नहीं मिला था।
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गौरतलब है कि हाल ही में धीरेंद्र शस्त्री की कथा और अंडर टेबल पैसे वाले अखिलेश यादव के बयान पर संजय निषाद ने अखिलेश यादव का समर्थन किया था। संजय निषाद ने कहा था कि कुछ कथावाचक बहुत ही ज्यादा महंगे होते हैं, जिसके चलते लोग उन्हें अफोर्ड ही नहीं कर पाते हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि धर्म के प्रचार प्रसार का अधिकार सभी को होना चाहिए।
2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी, बीजेपी के साथ गठबंधन में उत्तर प्रदेश में छह विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई। बता दें कि निषाद समुदाय मुख्य रूप से नदियों के किनारे के क्षेत्रों में पाया जाता है, खासकर पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कुशीनगर और वाराणसी जिलों में यह आबादी काफी ज्यादा है।
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