Uttar Pradesh Politics: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के दो नेताओं रामजी लाल सुमन और इंद्रजीत सरोज के बयानों से राज्य में राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। जिसके बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने राज्य के दलित समुदाय को चेतावनी जारी की है। मायावती ने कहा कि प्रतिद्वंद्वी पार्टी (सपा) उनके वोट पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

गुरुवार को एक पोस्ट में मायावती ने दोनों नेताओं, जो दलित हैं। उनके बयानों का जिक्र किया। बता दें, रामजी लाल सुमन ने 13वीं सदी के राजपूत शासक राणा सांगा को “देशद्रोही” कहा था, जिससे राज्य के राजपूत संगठन नाराज़ हो गए। जबकि इंद्रजीत सरोज ने हिंदू देवी-देवताओं की “शक्ति” पर सवाल उठाते हुए विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि वे आक्रमणकारियों के सामने “शक्तिहीन” थे।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव दलितों तक पहुंच बनाने की कोशिश में जुटे हैं। जो बसपा के वोट बैंक के लिए सबसे बड़ा खतरा दिख रही है। पिछले कुछ सालों से सपा दलितों को समाजवादी पार्टी के पीडीए यानी पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) जाति समीकरण में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रही है।

ऐसे में बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार सुबह कहा कि दलित वोट पाने के लिए सपा किसी भी हद तक जा सकती है। इसलिए दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़े वर्गों और मुसलमानों को उनके किसी भी आक्रामक उकसावे का शिकार नहीं बनना चाहिए।

बीएसपी चीफ ने कहा कि विदित है कि अन्य पार्टियों की तरह आए दिन सपा द्वारा भी पार्टी के ख़ासकर दलित लोगों को आगे करके तनाव व हिंसा का माहौल पैदा करने वाले आ रहे इनके अति विवादित बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप व कार्यक्रम आदि का जो दौर चल रहा है यह इनकी घोर संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ही प्रतीत होती है।

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दोनों दलित नेताओं से मायावती ने कहा कि दूसरों के इतिहास पर टिप्पणी करने के बजाय, बेहतर होगा कि ऐसी पार्टियों से जुड़े अवसरवादी दलित अपने समाज के संतों, गुरुओं और महापुरुषों की अच्छाइयों और संघर्षों के बारे में बात करें, जिनकी वजह से ये लोग किसी लायक बने हैं।

बता दें, दलितों तक पहुंच बनाने के अपने अभियान के तहत सपा 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में सप्ताह भर कार्यक्रम आयोजित कर रही है। मायावती की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पिछले कुछ वर्षों में कई दलित नेताओं – लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, इंद्रजीत सरोज और हाल ही में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और बसपा के संस्थापक दद्दू प्रसाद बसपा से सपा की ओर मुड़ गए हैं।

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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए मौलश्री सेठ की रिपोर्ट)