Who Is Ali Khan Mahmudabad: अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर (Ashoka University Professor) अली खान महमूदाबाद (Ali Khan Mahmudabad) को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को लेकर टिप्पणी की थी। जिससे सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा मिला। अली खान महमूदाबाद उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद के राजा परिवार से आते हैं।

महमूदाबाद के साथी उन्हें बहुभाषी राजनीतिक विद्वान (Multilingual Political Scholar) के रूप में देखते हैं। महमूदाबाद और अशोका यूनिवर्सिटी को अच्छी तरह से जानने वाले एक वरिष्ठ राजनीतिक वैज्ञानिक (Political Scientist) ने कहा कि वे औपनिवेशिक भारत में मुस्लिम राजनीतिक विचारों के विशेषज्ञ हैं, जिस पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है। वे बहुभाषी हैं। उनको हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी अच्छी आती है। जो इन दिनों लोगों में बहुत कम देखने को मिलता है। उन्होंने कैम्ब्रिज और सीरिया के दमिश्क दोनों जगहों से भी पढ़ाई की है, जिससे उन्हें एक दुर्लभ गहराई और अंतर-सांस्कृतिक समझ मिलती है।

अली खान महमूदाबाद का जन्म 2 दिसंबर 1982 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा लॉ मार्टिनियर कॉलेज, लखनऊ से की। इसके बाद वे 1996 तक किंग्स कॉलेज स्कूल में पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्होंने 2001 में विनचेस्टर कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

महमूदाबाद 2018 में पार्टी में शामिल होने के बाद 2019 से 2022 तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे। पार्टी में सक्रिय रहने तक उन्हें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सबसे करीबी सहयोगियों में गिना जाता था। 2022 के बाद से महमूदाबाद के पास पार्टी में कोई आधिकारिक पद नहीं है और वे राजनीति में एक्टिव नहीं हैं।

महमूदाबाद मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान ‘सुलेमान’ के बेटे हैं, जिन्हें राजा साहिब महमूदाबाद के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने अपने जीवन के लगभग 40 साल सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत जब्त की गई अपनी पैतृक संपत्ति को वापस पाने के लिए कानूनी लड़ाई में बिताए। सुलेमान 1965 में कैम्ब्रिज भी गए और गणित का अध्ययन किया।

सुलेमान का राजनीतिक जीवन भी रहा है और वह महमूदाबाद से दो बार कांग्रेस के विधायक रहे तथा उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में एक लोकप्रिय राजनेता थे।

उनकी संपत्तियों में लखनऊ के बीचों-बीच कई बड़े भूखंड शामिल हैं, जिनमें प्रतिष्ठित बटलर पैलेस, हजरतगंज बाजार का एक बड़ा हिस्सा, हलवासिया बाजार, महमूदाबाद किला शामिल हैं। इन सभी की कीमत कई हजार करोड़ रुपये है। महमूदाबाद परिवार की संपत्तियां लखनऊ, सीतापुर और उत्तराखंड के नैनीताल में फैली हुई हैं।

न्यायपालिका, कार्यपालिका और संसद में ‘सुप्रीम’ कौन? CJI बीआर गवई ने दिया जवाब; जानिए संविधान को लेकर क्या कहा

सुलेमान का अक्टूबर 2023 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह महमूदाबाद के अंतिम शासक राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान के इकलौते बेटे थे, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत के सबसे धनी जमींदारों में से एक थे। मोहम्मद अमीर अहमद खान लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे और भारत के विभाजन से पहले के वर्षों में मुस्लिम लीग के प्रमुख वित्तपोषक थे।

फरवरी 2020 में अली खान महमूदाबाद ने पोएट्री ऑफ बिलॉन्गिंग नाम से एक किताब जारी की, जिसमें 1850-1950 के बीच भारत की मुस्लिम कल्पनाओं को रेखांकित करने की कोशिश की गई है। उन्होंने अवध, लखनऊ के सूफियों, शियाओं और भारत की मुस्लिम कल्पनाओं पर कई किताबें लिखी हैं।

दो रात पहले कई प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों ने महमूदाबाद के अभिव्यक्ति के अधिकार का बचाव करने वाली याचिका पर हस्ताक्षर किए।महमूदाबाद की गिरफ़्तारी हरियाणा राज्य महिला आयोग द्वारा 12 मई को जारी किए गए नोटिस के बाद हुई है। जिसमें उनकी टिप्पणियों पर स्वतः संज्ञान लिया गया था। जिसमें उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग को लेकर टिप्पणी की थी, कहा था कि अगर यह ज़मीन पर वास्तविकता में तब्दील नहीं हुआ तो यह “पाखंड” होगा। आयोग ने सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों की व्याख्या “राष्ट्रीय सैन्य कार्रवाइयों को बदनाम करने का प्रयास के रूप में की है।

यह भी पढ़ें-

‘पाकिस्तान को चीनी तकनीक भी न बचा सकी’, अमित शाह बोले- भारत के ब्रह्मोस ने उड़ा दिए एयरबेस

30 दिन में किया जाए बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों का वेरिफिकेशन, गृह मंत्रालय ने दी डेडलाइन

(इंडियन एक्सप्रेस के लिए असद रहमान और विकास पाठक की रिपोर्ट)