UP BJP State President News: भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में अभी तक पार्टी अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर सकी है। जबकि वो उत्तराखंड समेत 22 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष का चुनाव एक चुनौती बन गया है? यूपी में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती ओबीसी समुदाय को लेकर है। यही वजह है कि बीजेपी ओबीसी वोट को साधने के लिए किसी पिछड़े वर्ग के नेता को ही प्रदेश अध्यक्ष बना सकती हैं, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि बीजेपी किसी ब्राह्मण चेहरे को सामने ला सकती है।
हालांकि, प्रदेश की हालिया राजनीति को देखें तो पार्टी का किसी ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाना मुश्किल है, क्योंकि जिस तरह की राजनीतिक पिच पर अभी तक सपा चीफ अखिलेश यादव ने बैटिंग की और कर रहे हैं, उसको देखकर नहीं लगता कि बीजेपी किसी ब्राह्मण चेहरे को सामने लाकर जोखिम मोल लेगी, वो भी तब, जब यूपी में 2017 में विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा हाईकमान यह भी जानता है कि सवर्ण मतदाता परंपरागत उनका वोट है, तो वो पार्टी से हटकर कहीं नहीं जाएगा। ऐसे में ओबीसी वोट को साधकर ही यूपी की वैतरणी से पार पाया जा सकता है।
इतना ही नहीं, बीजेपी की रणनीति इस पर भी काम कर रही है कि उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कम सीटें क्यों मिली और सबसे ज्यादा इसका फायदा समाजवादी पार्टी को हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में अपने दम पर 62 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इस बार पार्टी 33 सीटें ही जीत सकी है। इन सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद कहा जा सकता है कि बीजेपी यूपी में किसी ओबीसी नेता को ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे सकती है, जिससे अखिलेश के पीडीए की काट को मुथरा किया जा सके।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में देरी की एक वजह इस राज्य के जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को भी माना जा रहा है। भाजपा किसी ऐसे चेहरे की तलाश में जो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट बन सके। वहीं एक एंगल इटावा में कथावाचक प्रकरण के बाद ब्राह्मणों की नाराजगी से भी जुड़ गया है। बीजेपी इन्हें साथ लाने के लिए किसी ब्राह्मण चेहरे पर भी दांव लगा सकती है। लेकिन इसकी उम्मीद कम है।
कुल मिलाकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ अब किसी पिछड़े या ब्राह्मण चेहरे पर आकर अटक गई। इस रेस में कुछ नाम भी सामने आ रहे हैं। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है। जबकि पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला और पूर्व सांसद सुब्रत पाठक को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। वहीं ओबीसी चेहरों में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह और साध्वी निरंजन ज्योति को भी मौका मिल सकता है। बीजेपी को यूपी ने दी सबसे मारक सजा, जानिए कहां घटीं कितनी सीटें, 67 सीटें बढ़ाने का टारगेट था, 63 गंवा बैठी बीजेपी
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भाजपा 2027 के चुनाव को देखते हुए नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर मंथन कर रही है। जिसके जरिये जनता को संदेश दिया जा सके। बताया जा रहा है कि पार्टी ने अभी सारे विकल्प खोले हुए हैं। 10 जुलाई के बाद आखिरी फैसले पर मुहर लगाने की कवायद तेज हो जाएगी। इस बीच प्रदेश में क्षेत्रीय छत्रपों के बीच गोपनीय बैठकों का सिलसिला जारी है। एक चर्चा ये भी है इससे पहले भी प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है।
बता दें, यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था। इसके बाद से बीजेपी नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश नहीं कर पा रही है। बीजेपी नए चेहरे पर दांव लगाना चाहती है। अभी तक किसी एक नाम पर मुहर नहीं लग पाई है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के यूपी में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था। पढ़ें…पूरी खबर।