UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमावर की सुबह अहम रही क्योंकि समाजवादी पार्टी ने अपने ही तीन विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन विधायकों में गोसाईगंज से अभय सिंह, ऊंचाहर से मनोज पांडे और गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह हैं। सपा का कहना है कि इन विधायकों ने सांप्रदायिक और विभाजनकारी सियासत को बढ़ावा दिया है। इतना ही नहीं, सपा न इन विधायकों को महिला, युवा व्यापार विरोधी नीतियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
सपा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है। इसमें अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडे का नाम शामिल है।
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सपा ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गयी ‘अनुग्रह-अवधि’ की समय-सीमा अब पूर्ण हुई, शेष की समय-सीमा अच्छे व्यवहार के कारण शेष है। भविष्य में भी ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा और पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी।
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समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है: 1. मा.…
समाजवादी पार्टी ने यह भी कहा है कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल किसी भी सदस्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। निष्कासित विधायकों को सुधरने का मौका दिया गया था लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे। इसीलिए अखिलेश यादव की पार्टी ने सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
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बता दें कि राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा के सात विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोटिंग की थी, जिसके चलते समाजवादी पार्टी की काफी फजीहत हुई थी। ऐसे में अब डेढ़ साल के बाद अखिलेश यादव ने उन सात में से तीन के खिलाफ एक्शन लिया है।
हालांकि, अब यह ज्यादा बड़ा सवाल बन गया है कि बागी 7 विधायक हुए थे, तो कार्रवाई केवल तीन पर ही क्यों की गई। अन्य बागियों में राकेश पांडे, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है।
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