दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तुंगनाथ में 6 से 10 डिग्री का झुकाव देखा गया है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे इंडिया की एक स्टडी के मुताबिक, सरकार को इसके बारे में अवगत कराया गया है और सुझाव दिया है कि स्मारक को एक संरक्षित स्मारक के रूप में शामिल किया जाए। तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग में स्थित है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए तैयारियों शुरू कर दी हैं और एक अधिसूचना जारी कर लोगों से आपत्तियां मांगी हैं। स्टडी में सामने आया है कि मंदिर में 5 से 6 डिग्री तक झुकाव है और मंदिर के अंदर मूर्तियों और छोटे स्ट्रक्चर्स में 10 डिग्री तक का झुकाव देखा गया है। एएसआई के देहरादून इकाई के सुपरिटेंडेंट मनोज सक्सेना ने कहा कि सबसे पहले मंदिर में झुकाव और नुकसान के कारण का पता लगाने की कोशिश की जाएगी और अगर संभव हुआ तो तुरंत उसको रिपेयर किया जाएगा। इसके साथ ही मंदिर परिसर के निरीक्षण के बाद डिटेल प्रोग्राम तैयार किया जाएगा।
एएसआई के अधिकारी इस बात की संभावना को भी ध्यान में लेकर चल रहे हैं कि मंदिर के नीचे की जमीन धंसने या खिसकने की वजह से यह झुकाव आया हो। उन्होंने कहा कि जरूरी लगा तो विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद फाउंडेशन के पत्थरों को बदला जाएगा। फिलहाल के लिए एजेंसी ने मुख्य मंदिर की दीवारों पर कांच के स्केल लगाए हैं, जो मंदिर की गति को माप सकते हैं।
तुंगनाथ को दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है, जिसे 8 वीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों द्वारा बनाया गया था। यह बद्री केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के प्रशासन के अधीन है। सक्सेना ने कहा, “इस संबंध में बीकेटीसी को एक पत्र भी भेजा गया है। हालांकि, हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।” दशकों पहले कुछ स्टडीज में इस बात के लिए चेतावनी दी गई थी कि जोशीमठ जर्जर जमीन पर खड़ा है। इसके बावजूद, यहां इमारतों, सड़कों और पावर प्रोजेक्ट्स का काम जारी रहा। केंद्र सरकार की एक टीम ने कहा है कि तकरीबन 300 परिवारों को जोशमीठ के किसी और हिस्से में स्थायी रूप से शिफ्ट किया जा सकता है क्योंकि यहां कुछ हिस्से रहने योग्य हो गए हैं।
तुंगनाथ को दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है, जिसे 8वीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने बनवाया था। यह बद्री केदार मंदिर समिति (BKTC) के प्रशासन के अधीन है। मनोज सक्सेना ने कहा, “इस संबंध में बीकेटीसी को एक पत्र भी भेजा गया है। हालांकि, हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।” टाईम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा, “इस मामले पर हाल ही में एक बोर्ड बैठक में चर्चा हुई थी जहां सभी हितधारकों ने एएसआई के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। हम मंदिर को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने में उनकी सहायता लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसे उन्हें सौंपे बिना हम ऐसा करेंगे।” हम उन्हें हमारे फैसले के बारे में जल्द ही सूचित करेंगे।”