राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनियाभर के देशों पर नए टैरिफ लगाने से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें काफी ज्यादा बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है, जिससे दुनियाभर में आलोचना के साथ-साथ और ट्रेड वॉर का खतरा पैदा हो गया है।

ट्रंप ने दुनियाभर के सभी देशों पर सारे इंपोर्ट पर 10 प्रतिशत का बेस टैरिफ लगाया है। और मुख्य ट्रेडिंग पार्टनर्स पर हाई ड्यूटीज लगाई हैं। इस फैसले के आते ही दुनियाभर के स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। दुनियाभर के नेताओं की नजरें अब टैरिफ पर हैं जिन्होंने पहले ही दशकों के ट्रेड लिबरलाइजेशन के लिए रिवर्स टैरिफ की चेतावनी दी थी। चीन, जापान और यूरोपीय यूनियन ने अमेरिका के टैरिफ पर जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है।

अमेरिकी उपभोक्ताओं पर तत्काल प्रभाव एक बड़ी चिंता का विषय है। टैरिफ से कैनबिस और रनिंग शूज़ से लेकर ऐप्पल के आईफोन (Apple iPhone) तक तमाम वस्तुओं की लागत बढ़ने का अनुमान है। उदाहरण के लिए, Rosenblatt Securities के अनुसार, अगर ऐप्पल अतिरिक्त लागत का बोझ खरीदारों पर डालता है, तो एक हाई-एंड आईफोन की कीमत लगभग 2,300 डॉलर तक बढ़ सकती है।

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दुनियाभर में कारोबारी कंपनियां पहले ही प्रतिक्रिया दे रही हैं। ऑटोमेकर स्टेलेंटिस ने कनाडा और मैक्सिको में अस्थायी छंटनी और प्लांट बंद करने की घोषणा की, जबकि जनरल मोटर्स ने संकेत दिया कि वह अमेरिकी उत्पादन में वृद्धि करेगी।

कनाडा के प्रधान मंत्री मार्क कार्नी ने अमेरिकी फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग ना करने का संकेत है। कनाडा ने जवाबी कदम उठाए जाने की घोषणा की है, और चीन और यूरोपीय संघ दोनों ने जवाबी कार्रवाई का वादा किया है। चीन ने यूएस से आने वाले सामान पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने अमेरिका में यूरोपीय निवेश को निलंबित करने का आह्वान किया।

अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप के इस टैरिफ अटैक से महंगाई में इजाफा हो सकता है और एक औसत यूएस परिवार को करीब हजारों डॉलर की चपत लग सकती है। जैसा कि हमने बताया टैरिफ के लागू होने के बाद से ही दुनियाभर के बाजारों Dow, S&P 500 और Nasdaq में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

ट्रंप के प्रशासनिक अधिकारियों का तर्क है कि यूएस मैन्युफैकचरिंग को बचाने और नए एक्सपोर्ट मार्केट्स को बुलाने के लिए टैरिफ की जरूरत है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इससे कंज्यूमर प्राइस पर प्रभाव पड़ने और ग्लोबल ट्रेड वॉर की संभावना है। अमेरिका के वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस ने जोर देते हुए कहा कि खासतौर पर इस्पात और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण के राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ पर जोर दिया।

बता दें कि बेस टैरिफ के लागू होने के बाद बाकी टैरिफ 9 अप्रैल से लागू होंगे। ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने कंज्यूमर्स और कारोबारियों को अनिश्चितता की स्थिति में छोड़ दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि टैरिफ प्लान में अंतर्राष्ट्रीय बातचीत के लिए एक ठोस ढांचे की कमी है।

टैरिफ से जापान और दक्षिण कोरिया समेत अमेरिकी सहयोगियों के अलग होने का भी जोखिम है जिन पर पर्याप्त शुल्क लगता है। कनाडा और मेक्सिको से माल पर मौजूदा टैरिफ और ऑटो इंपोर्ट्स पर नए टैरिफ से स्थिति और जटिल हो गई है।