China’s DeepSeek-V3 AI ChatGPT Model: जनवरी 2025 में चीन के DeepSeek AI लैब ने अपना नया एआई मॉडल DeepSeek-V3 लॉन्च किया। इस नए डीपसीक-वी3 ने लॉन्च के साथ ही ग्लोबल टेक जगत को हिलाकर रख दिया। चीन के इस ‘चैटजीपीटी’ मॉडल ने यूएस के टेक दिग्गजों को चिंतित कर दिया है क्योंकि इससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अमेरिका के नंबर एक के ताज को खतरा पैदा हो गया है।
पिछले कुछ सालों से अमेरिका में OpenAI, Meta और Google जैसी कंपनियां AI डिवेलपमेंट में सबसे आगे हैं। लेकिन अब, चीन ने DeepSeek-V3 के साथ बड़ा दांव चल दिया है। डीपसीक-वी3 एक मॉडल है जो दुनिया के कुछ सबसे बेहतरीन AI सिस्टम को चुनौती दे रहा है जबकि इसे बनाने में खर्च काफी कम हुआ है। खास बात है यह है कि चीन के डीपसीक-वी3 मॉडल का लॉन्च होना इसलिए भी सरप्राइजिंग है क्योंकि यूएस ने मुख्य AI हार्डवेयर जैसे NVIDIA के पावरफुल चिपसेट को एक्सेस करने से चीन को प्रतिबंधित कर दिया था ताकि इसकी प्रोग्रेस धीमी हो जाए। इन चुनौतियों के बावजूद, DeepSeek ने यह साबित कर दिया है कि इनोवेशन हर परिस्थिति में हो सकता है।
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डीपसीक-वी3 इसलिए भी शानदार है क्योंकि यह दूसरे AI मॉडल्स की तरह ही परफॉर्म करता है, लेकिन इसे बनाने में काफी कम पैसे खर्च हुए हैं। चीन पर लगे एडवांस्ड हार्डवेयर प्रतिबंधों के चलते भी यह महत्वपूर्ण है। आमतौर पर कॉम्पिटिटिव AI सिस्टम को बनाने में अरबों डॉलर की जरूरत होती है और डीपसीक की सफलता यह दिखाती है कि क्रिएटिव अप्रोच के साथ लिमिटेड बजट में भी पावरफुल AI मॉडल बनाना संभव है। हालांकि, सबसे बड़ा फैक्ट यह है कि DeepSeek-V3 एक ओपन-सोर्स है जिसका मतलब है कि दुनियाभर में डिवेलपर्स इसे एक्सेस कर सकते हैं, उन जगहों पर भी जहां महंगे AI टूल में निवेश के लिए पैसे बहुत कम हैं।
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DeepSeek-V3 का लॉन्च काफी महत्वपूर्ण है। यूएस लंबे वक्त से उन मुख्य AI चिप के एक्सेस को रोकने के लिए चीन पर प्रतिबंध लगाता रहा है जिनकी जरूरत बड़े AI मॉडल्स को ट्रेन करने के लिए होती है। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य चीन को AI में तेजी से आगे बढ़ने से रोकना था, लेकिन DeepSeek की सफलता दिखाती है कि इन प्रतिबंधों ने यूएस की उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं किया। महंगे हार्डवेयर पर भरोसा करने की जगह, डीपसीक के इंजीनियर् ने मौजूदा टेक्नोलॉजी को ज्यादा क्षमतावान बनाने के नए तरीके खोजे और चीनी टेक इंडस्ट्री को इस बात पर सोचने पर मजबूर कर दिया कि AI सिस्टम कैसे काम करता है।
DeepSeek-V3 दुनिया में चल रही AI रेस में बदलाव की तरफ एक संकेत है। अमेरिकी कंपनियां जहां AI को डिवेलप करने पर लगातार काम कर रही हैं, वहीं DeepSeek की सफलता दिखाती है कि इनोवेशन कई बार कड़े प्रतिबंधों के बावजूद, उन जगहों से भी हो सकता है जहां से उम्मीद ना हो। डीपसीक के नए मॉडल के साथ ही यूएस पर अब AI में लगातार निवेश करने का दवाब बन गया है और नई क्रिएटिविटी के साथ खासतौर पर टाइम लिमिट में काम करने की चुनौती भी आ गई है। DeepSeek के उभरने के साथ ही यह पता चलता है कि चीन अब AI स्पेस में एक तगड़ा प्रतिद्वन्दी बन गया है।
DeepSeek-V3 एक ओपन-सोर्स है जिसका मतलब है कि दुनियाभर के डिवेलपर्स इसे इस्तेमाल कर सकते हैं, इनमें विकासशील देशों की छोटी कंपनियां और रिसर्चर शामिल हैं। इससे दुनिया में AI टेक्नोलॉजी का विस्तार करने में मदद मिल सकती है और यह उन देशों के लिए इनोवेशन के लिए पहुंच में होगी जिनके पास बड़ी वित्तीय मदद नहीं है। अब चीन, AI की दुनिया में एक मजबूत और बड़ा खिलाड़ी बन गया है तो इस स्थित में ग्लोबल AI लीडरशिप के लिए प्रतियोगिता ज्यादा संतुलित होगी और सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के कई देशों द्वारा AI का फ्यूचर तय होगा।