Surya Grahan 2025 Date and Time in India: सूर्य ग्रहण को एक अद्भुत खगोलीय घटना माना जाता है। हर साल कम से कम 2 बार सूर्य ग्रहण और 2 बार चंद्र ग्रहण लगता है। साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगा था। दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में दिखाई दिए इस ग्रहण का नजारा भारत में नहीं दिखाई दिया था। खगोलविदों को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का इंतजार रहता है। अब साल 2025 के दूसरे सूर्य ग्रहण (Second solar Eclipse 2025) का इंतजार है। आपको बताते हैं साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण कब है? साथ ही आपको बताएंगे कि सूर्य ग्रहण देखते समय कौन-कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए?

साल 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर (18 जून 2025) दिन रविवार को लगेगा। इस ग्रहण की शुरुआत रात 11 बजे से होगी। सूर्य ग्रहण 22 सितंबर, सोमवार को तड़के सुबह 3 बजकर 24 मिनट पर खत्म होगा। यानी सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे, 24 मिनट तक होगी।

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हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, साल का दूसरा सूर्य ग्रहण आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लग रहा है। आपको बता दें कि यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) होगा।

साल का आखिरी सूर्य ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका, नॉर्थ और साउथ अमेरिका व अटलांटिक और आर्कटिक महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।

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आपको बता दें कि साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।

साल के पहले सूर्य ग्रहण की तरह ही दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। बता दें कि भारत में ग्रहण दिखाई ना देने के चलते सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

समय और तिथि के अनुसार, 16.6 मिलियन लोग आंशिक सूर्य ग्रहण के मार्ग में होंगे, और 409,000 लोग 70% या Deep Partial Solar Eclipse देखेंगे। अधिकांश न्यूजीलैंड के साउथ आइलैंड के दक्षिणी भाग में होंगे।

गौर करने वाली बात है कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, सूर्य ग्रहण की घटना केवल अमावस्या के दिन ही होती है। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं। साल 2025 में दो सूर्य ग्रहण लग रहे हैं। साल का पहला सूर्य ग्रहण नजदीक है और 29 मार्च को लगेगा वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा।

बता दें कि आंशिक सूर्य ग्रहण के दौरान जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है और धरती के कुछ हिस्सों पर उसकी छाया पड़ती है जिसके चलते सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती। इस स्थिति में चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता और एक सूर्य के कुछ हिस्से की रोशनी पृथ्वी पर आती है। इस खगोलीय स्थिति को वैज्ञानिकों ने आंशिक सूर्य ग्रहण का नाम दिया है। आसमान में दिखने वाले इस दुर्लभ नजारे का दुनियाभर के खगोलविदों को बेसब्री से इंतजार है और उनके लिए इस आकाशीय घटना को समझने का यह शानदार मौका होगा।