वसई: मुंबई के पास दिवा-मुंब्रा रेलवे स्टेशन के बीच लोकल ट्रेन से गिरकर चार लोगों की मौत हो गई है। इस हादसे के बाद एक बार फिर लोकल ट्रेन से खतरनाक तरीके से यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। वसई-विरार के यात्रियों को भी हर दिन विरार से चर्चगेट तक का खतरनाक सफर तय करना पड़ता है। पिछले डेढ़ साल में वैतरणा और मीरा रोड के बीच ट्रेन हादसों में 284 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 61 की मौत लोकल ट्रेन से गिरकर हुई है।
मीरा रोड से वैतरणा तक 31 किलोमीटर का क्षेत्र पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है। इसमें सात स्टेशन शामिल हैं। इन सभी स्टेशनों से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में पिछले कुछ सालों में वृद्धि हुई है। खास तौर पर विरार, नालासोपारा, वसई, नायगांव स्टेशनों से मुंबई की ओर यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या करीब 12 से 15 लाख है। इनमें से ज्यादातर यात्री नालासोपारा रेलवे स्टेशन से यात्रा करते हैं।
विरार से चर्चगेट तक हर दिन 224 नियमित लोकल ट्रेनें चलती हैं। इनमें 57 वातानुकूलित लोकल ट्रेनें हैं। लेकिन, बढ़ती भीड़ अब यात्रियों की जान पर भारी पड़ रही है। लोकल ट्रेनों में खड़े होने की जगह नहीं होने के कारण कई यात्री लोकल ट्रेनों के दरवाजों से लटके नजर आते हैं।
2024 से जून 2025 तक डेढ़ साल में मीरा रोड और वैतरणा स्टेशनों के बीच 284 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 171 की मौत लोकल ट्रेनों से टकराने और 61 की मौत लोकल ट्रेन से गिरकर हुई। रेलवे पुलिस ने बताया है कि 52 लोगों की मौत अन्य कारणों से हुई।
ट्रेन से गिरकर 180 लोग घायल
ट्रेन में यात्रा के दौरान घायल होने वाले लोगों की संख्या भी बहुत ज़्यादा है। पिछले डेढ़ साल में मीरा रोड और वैतरणा के बीच ट्रेन हादसों में 286 यात्री घायल हुए हैं। रेलवे पुलिस ने बताया है कि इनमें से सबसे ज़्यादा 180 यात्री चलती लोकल ट्रेन से गिरकर घायल हुए हैं। बढ़ती भीड़ के कारण लोग लोकल ट्रेन से लटक रहे हैं, जिसकी वजह से ऐसी गंभीर घटनाएं होने लगी हैं।
रेलवे प्रशासन यात्रियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सर्वेक्षण करता है। लेकिन अब यात्रियों की शिकायत है कि ऐसा करते समय आम यात्रियों का ध्यान नहीं रखा जाता। वर्तमान में वसई विरार क्षेत्र से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या असंख्य है। महिला रेल यात्री मृदुला खेडेकर ने कहा कि इस बारे में एक महीने पहले ही पूछकर समय-सारिणी और उसमें होने वाले बदलावों की तैयारी कर लेनी चाहिए। इसके अलावा भीड़ नियंत्रण के लिए जरूरी उपाय केवल रेलवे ही नहीं कर सकता, बल्कि राज्य सरकार और शहर की अन्य संबंधित एजेंसियों को भी करना चाहिए, खेडेकर ने कहा।