Bihar Teen Marriage News: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार सरकार को एक 16 वर्षीय लड़की की याचिका पर नोटिस जारी किया, जो 33 साल के शख्स के साथ “जबरन” शादी जारी रखने से इनकार करने की वजह से “धमकी का सामना” कर रही है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जज उज्जल भुइयां और जज मनमोहन की बेंच ने बिहार पुलिस को लड़की और उसके दोस्त को पूरी सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया, जिस पर कथित अपहरण के लिए एफआईआर दर्ज है, क्योंकि उसने लड़की को भागने और छिपने में मदद की थी। साथ ही शीर्ष अदालत ने 15 जुलाई तक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी है।

रिपोर्ट के अनुसार अपनी याचिका में, बिहार की लड़की ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत अपनी शादी को रद्द करने की मांग की, जिसका उद्देश्य बाल विवाह को रोकना और पीड़ितों को सुरक्षा और राहत प्रदान करना है।उसने कहा कि उसके माता-पिता ने 9 दिसंबर को “जबरदस्ती” करके 32-33 साल के एक सिविल ठेकेदार से उसकी शादी करवा दी और उसे तुरंत उसके ससुराल भेज दिया, जबकि उन्हें पता था कि उसकी बोर्ड परीक्षाएं नजदीक हैं।

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वकील ज्ञानंत सिंह के माध्यम से उसके दोस्त द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, “उसके ससुराल वालों ने उसे अपने माता-पिता के घर लौटने की परमिशन नहीं दी, जिन्होंने दावा किया कि उन्होंने शादी के लिए बहुत पैसा दिया और खर्च किया। उन्होंने बार-बार उससे कहा कि वे एक बच्चा चाहते हैं।”

कोर्ट को बताया गया, “उसके पति जो एक सिविल ठेकेदार हैं, ने दावा किया कि याचिकाकर्ता के माता-पिता उनके कर्जदार हैं और उसे शिक्षक या वकील बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे की पढ़ाई करने के बजाय विवाह जारी रखना होगा।”

याचिका में कहा गया है कि लड़की का पति शारीरिक संबंध बनाने के उसके प्रयास को ठुकराने और उसका विरोध करने पर उसे रोजाना बेरहमी से पीटता था। वह जनवरी के दूसरे हफ्ते तक गंभीर तनाव में रही, जब उसके मामा ने ससुराल वालों को उसे बोर्ड परीक्षा के लिए अपने माता-पिता के घर लौटने की अनुमति देने के लिए राजी किया।

रिपोर्ट के मुताबिक याचिका में कहा गया है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद वह मैट्रिकुलेशन परीक्षा पास करने में सफल रही। हालांकि, जब ससुराल वालों ने लड़की के माता-पिता पर उसे वापस भेजने का दबाव बनाना शुरू किया, तो उसने अपने दोस्त से संपर्क किया, जो काफी समझाने के बाद उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गया।

31 मार्च को लड़की अपने घर से भाग गई और पहले अपनी दोस्त के साथ वाराणसी गई। याचिका में कहा गया है कि “उनके लोकेशन का पता लगने के बाद से वे भाग रहे हैं।” हालांकि, लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि उसका अपहरण किया गया था और उसके दोस्त, उसके पिता, माता और मामा के खिलाफ मामला दर्ज कराया।

याचिका में कहा गया है कि “याचिकाकर्ता माननीय न्यायालय से इस मामले में दखल देने की मांग करती है, क्योंकि उसके दोस्त जो एक लड़का है के परिवार के सदस्यों को प्रताड़ित किया जा रहा है और यह सुनिश्चित करने की धमकी दी जा रही है कि वह अपने माता-पिता और परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के डर से मुझे छोड़ दे।”

लड़की का कहना है, “याचिकाकर्ता के पिता को पहले ही एफआईआर में लगाए गए आरोपों के आधार पर गिरफ्तार किया जा चुका है, जो कि गलत है। याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी केवल यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि मेरा दोस्त मुझे धोखा दे और मुझे मेरे परिवार और ससुराल वालों को सौंप दे।”

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लड़की ने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति ने गांव वालों से कहा है कि “उसे उसकी हत्या करने के बाद जेल जाने में कोई आपत्ति नहीं होगी।” याचिका में कहा गया है कि “राज्य मशीनरी बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत उचित कार्रवाई करने और याचिकाकर्ता को बचाने में विफल रही है।” शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अभिषेक राय ने किया।