Raja Raghuvanshi Murder Case ने 21 साल पुरानी एक कहानी को फिर से जिंदा कर दिया है। जब शुभा ने गिरीश का बेरहमी से कत्ल करवा दिया था… शुभा, अरुण वर्मा नाम के एक लड़के से प्यार करती थी और यही प्यार गिरीश की मौत का कारण बना….3 दिसंबर 2003 की रात गिरीश की जिंदगी की आखिरी रात साबित हुई।

इस कहानी की शुरुआत कहां से हुई आइए जानते हैं… सर्द रात में गिरीश को राजा रघुवंशी की तरह की मौत के घाट उतार दिया गया। इस वक्त हनीमून पर पति की हत्या करने का आरोप सोनम पर है, लेकिन उस समय पूरे बेंगलुरू शहर में चर्चा शुभा की थी। जिसने धोखे से सुनसान जगह पर गिरीश को बुलाया और फिर उसकी जान ले ली थी। राजा रघुवंशी हत्याकांड ने 21 साल पहले हुए गिराश वर्मा की कहानी से काफी मैच खाती है। गिरीश की कहानी भी राजा की ही तरह थी।

30 नवंबर 2003 को कर्नाटक के बेंगलुरु शहर के एक घर में खुशियों की लहर थी। गिरीश और शुभा शंकरनारायण की सगाई हो रही थी। गिरीश एक सीधा साधा लड़का था, वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, शुभा भी होनहार थी और कानून की पढ़ाई कर रही थी। दोनों परिवार एक-दूसरे को 10 सालों से जानते थे।

सगाई के बाद गिरीश, शुभा के साथ अपनी जिंदगी की प्लानिंग करने लगा। अप्रैल 2004 में दोनों की शादी होने वाली थी। हालांकि शुभा को यह मंजूर नहीं था, शुभा सोनम की तरह अपने से उम्र में छोटे लड़के अरुण वर्मा से प्यार करती थी। अरुण, शुभा का जूनियर था। शुभा ने अपने अपनी मां से कहा था कि वह गिरीश से शादी नहीं करना चाहती है, वह अरू से प्यार करती है औऱ उसी के साथ जिंदगी बिताना चाहती है। हालांकि शुभा की मां ने साफ-साफ दोनों के रिश्ते के लिए मना कर दिया था।

शुभा किसी भी सूरत में गिरीश से शादी नहीं करना चाहती थी, उसने दबाव ने सगाई तो कर ली लेकिन उसे अपनी जिंदगी अरुण के साथ बितानी थी। जब गिरीश उसके साथ नई जिंदगी के सपने बुन रहा था तब शुभा अपने प्रेमी के साथ मिलकर उसकी हत्या की प्लानिंग कर रही थी। गिरीश को मारने के लिए उसने कॉन्ट्रैक्ट किलर हायर किए थे। सगाई से पहले गिरीश ने उसे जब कॉलेज से घर छोड़ा था तो उसने कहा था कि वह उसके साथ डिनर पर जाना चाहती है।

सगाई के दो दिन बाद 3 दिसंबर 2003 को शुभा ने गिरीश को डिनर के लिए एयरपोर्ट रोड पर बुलाया। डिनर के बाद शुभा गिरीश को सुनसान और अंधेरी जगह पर हवाई जहाज देखने के बहाने ले गई। शुभा ने गिरीश से कहा कि मैं प्लेन को उड़ते हुए देखना चाहती हूं, गिरीश, शुभा के प्यार में उसके पीछे-पीछे चल दिया। वह प्लेन देखने के लिए हवाई पट्टी की तरफ पीछे मुड़ा ही था कि उसके सिर पर किसी ने तेज हथियार से हमला कर दिया। गिरीश तुरंत जमीन पर गिर गया। शुभा ने प्लानिंग के तहत नाटक किया औऱ उसे लेकर अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने बताया कि गिरीश की मौत हो चुकी है।

सोनम के किस्से की तरह शुभा ने कहानी बनाई कि जब वह गिरिश के साथ टहल रही थी तो दो अजनबी लोगों ने उसके ऊपर हमला कर दिया। हालांकि पुलिस को हत्यारे का कोई सुराग नहीं मिला था। इस बीच पुलिस ने शुभा और गिरीश की सगाई का वीडियो मंगवाकर ध्यान से देखा जिसमे शुभा के चेहरे पर उदासी थी। इसके बाद पुलिस का दिमाग चकराया और उन्हें शुभा पर शक होने लगा। शुभा के कॉल रिकॉर्ड से एक नंबर का पता चला, जिस पर शुभा ने हत्या से पहले औऱ बाद में कई बार बात की थी। ये नंबर किसी और का नहीं बल्कि अरुण वर्मा का था। पुलिस ने जब अरुण से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह हत्या की रात शहर में नहीं था। हालांकि अरूण के फोन का लोकेशन हत्या वाली जगह का था।

पुलिस को पूरी कहानी समझ आ गई, इसके बाद शुभा औऱ अरुण को गिरफ्त में लेकर कड़ाई से पूछताछ की गई, जब दोनों को समझ आ गया कि अब कोई रास्ता नहीं बचा तो वे टूट गए और अपना गुनाह कबूल कर लिया। पुलिस ने गिरीश मर्डर केस में चार लोगों को गिरफ्तार किया था, इसमें शुभा, अरुण, वेंकटेश और दिनकर शामिल थे। मामला कोर्ट पहुंचा और चारों को दोषी मानकर उम्रकैद की सजा दी गई। शुभा की करनी तो दुनिया के सामने आई, अब देखना यह है कि सोनम की कहानी पर कब विराम लगता है, क्योंकि इस केस में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं।