Iran Israel War: ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका ने खुलकर इजरायल का समर्थन किया है। 22 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बम बरसाए और चेतावनी दी कि अगर ईरान इसका जवाब देगा तो उस पर भविष्य में बड़े हमले किए जाएंगे। अमेरिका के हमलों को लेकर दुनियाभर से रिएक्शन आ रहे हैं। ईरान पर अमेरिका के इस हमले की भारतीय विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की है और भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़े किए हैं।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा कि सरकार को राष्ट्रीय संप्रभुता की अखंडता और दो राज्य समाधान को बनाए रखना चाहिए क्योंकि ये दो मौलिक सिद्धांत हैं, जिनका देश पारंपरिक रूप से पालन करता रहा है। वहीं इस मामले में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने खुलकर इस मामले में पाकिस्तान को भी लपेट लिया है।
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कांग्रेस सांसद और पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के महासचिव मनीष तिवारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह हमला स्पष्ट रूप से उग्रता बढ़ाने वाला है और इससे मध्य-पूर्व में गतिशीलता और भी उलझ जाएगी। यह स्पष्ट नहीं है कि यह हमला अमेरिकी युद्ध शक्ति संकल्पों का उल्लंघन है या नहीं, जिसके तहत युद्ध की घोषणा करने का अधिकार अमेरिकी कांग्रेस के पास है।
मनीष तिवारी ने कहा कि ये हमले अमेरिका और ईरान के बीच ओमान मध्यस्थता कर रहा है, और यूरोपीय देशों के साथ भी चर्चा हो रही है, ऐसे में ईरान पर हमले से वो बातचीत कमजोर हो सकती है। मनीष तिवारी ने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि ईरान के पास कोई परमाणु हथियार था या नहीं। वहां भूतिया WMD (सामूहिक विनाश के हथियार) थे, जो 2003 में इराक पर हमले का आधार बने थे।
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ध्यान देने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस ईरान में इजरायल के हमलों और गाजा में उसके हमले के खिलाफ मुखर रही है। सीपीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को गाजा और ईरान में इजरायल के हमले पर सरकार की चुप्पी की आलोचना करते हुए कहा कि यह न केवल उसकी आवाज का नुकसान है, बल्कि मूल्यों का समर्पण भी है।
वहीं ईरान पर इजरायली हमलों को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार विदेश नीति को लेकर असमंजस में है। सरकार को विदेश नीति पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। दोस्त की पहचान बुरे वक्त में होती है। बुरे वक्त में साथ देने वाले के साथ न खड़ा होना विश्वासघात है।
दूसरी ओर टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अब कूटनीति से तनाव कम करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अस्थिर पश्चिम एशिया किसी के हित में नहीं है। भारत सिर्फ़ मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता।
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वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिकी हमलों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी बमबारी के बाद पश्चिम एशिया के कुछ अरब देश इजरायल की “ब्लैकमेलिंग और आधिपत्य” के कारण परमाणु हथियार बना सकते हैं।
इसके अलावा देश की लेफ्ट पार्टियों ने जॉइंट बयान में कहा कि यह ईरानी संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है, और इससे वैश्विक तनाव बढ़ेगा, पश्चिम एशिया में अस्थिरता आएगी।
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