US Attack Iran: ईरान पर आखिरकार अमेरिका ने हमला किया, उसके तीन न्यूक्लियर साइट्स पर बंकर बम गिरा भारी तबाही मचाई गई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश के नाम दिए गए संबोधन में उस कार्रवाई के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यहां तक कहा कि दुनिया की कोई भी दूसरी मिलिट्री ऐसा ऑपरेशन नहीं कर सकती थी। अब यह सच बात है कि सभी के पास अमेरिका जैसे अत्याधुनिक बंकर बम नहीं होंगे, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि कोई दूसरा मुल्क ऐसी कार्रवाई नहीं कर सकता था। भारत भी इसी तरह की स्ट्राइक करने की क्षमता रखता है।

भारत भी दो परमाणु संपन्न देशों से घिरा हुआ है, बात चाहे पाकिस्तान की हो या फिर चीन की। वहां भी जमीन के काफी अंदर न्यूक्लियर फैसिलिटी मौजूद हैं। जरूरत पड़ने पर भारत भी उन पर निशाना साध सकता है। भारत के पास ऐसी मिसाइलें मौजूद हैं जो अंडरग्राउंड फैसिलिटी को टारगेट करने की क्षमता रखती हैं। अब उन्हें शायद बंकर बस्टर नाम से ना जानते हों, लेकिन कुछ दूसरे विकल्प जरूर भारत के पास भी मौजूद हैं। यहां समझने की कोशिश करते हैं कि भारत के पास ऐसी कौन सी मिसाइले हैं जो अंडरग्राउंड फैसिलिटी को भी सटीकता के साथ टारगेट कर सकती हैं-

शौर्य को एक हाइपरसोनिक मिसाइल के रूप में जाना जाता है, यह सतह से सतह मार करने में दक्षता रखती है, इसे मीडियम रेंज बेलिस्टिक मिसाइल भी कहा जा सकता है। बड़ी बात यह है कि भारत की शौर्य मिसाइल आसानी के साथ पारंपरिक और परमाणु दोनों तरीके से हथियार ले जा सकती है। यह मिसाइल अधिकतम 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है, वहीं इसकी रेंज 700 से 1900 किलोमीटर के बीच रहती है। शौर्य मिसाइल की हाइपरसोनिक स्पीड आसानी से अंडरग्राउंड टारगेट्स को भेद सकती है, दुश्मन देश के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इस मिसाइल को इंटरसेप्ट करना भी अलग ही चुनौती है।

अग्नि सीरीज की जो मिसाइलें बनाई गई हैं, उनकी एक बड़ी खासियत यही है कि वे जमीन के काफी अंदर मौजूद अंडरग्राउंड फैसिलिटी को भी टारगेट कर सकती हैं। यहां भी सबसे ज्यादा अग्नि 5 का जिक्र किया जाता है जिसकी रेंज 5500 किलोमीटर तक है, इसे तकनीकी भाषा में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी कि ICBM भी कहा जा सकता है। भारत तो इस समय अग्नि 6 भी डेवलप कर रहा है, उसकी रेंज तो 12 हजार से लेकर 16 हजार किलोमीटर रहने वाली है।

किसी भी मौसम में, किसी भी मुश्किल टैरेन में जब दुश्मन पर वार करने की बात आएगी, प्रहार मिसाइल का जिक्र होना जरूरी है। इस मिसाइल के साथ पारंपरिक हथियारों को ले जाया जा सकता है, वो हथियार भी लोड हो सकते हैं जो काफी गहराई तक वार करते हैं। इस मिसाइल की जो टेस्टिंग हुई है, उससे भी स्पष्ट है कि यह मात्र 10 मीटर से भी कम की डेविएशन के साथ अटैक कर सकती है। बताया जा रहा है कि प्रहार मिसाइल अपने साथ 200 किलोग्राम तक का पेलोड लेकर जा सकता है।

दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली सुपरसोनिक मिसाइल अगर कोई है तो वो ब्रह्मोस कहलाएगी। अब तक भारत के पास इस अत्याधुनिक मिसाइल के सात वैरिएंट मौजूद हैं, कई दूसरी मिसाइलों की तरह यह भी अपने साथ पारंपरिक और परमाणु दोनों हथियार ले जाने में सक्षम है। इन वैरिएंट्स की गति 3704 किलोमीटर प्रतिघंटा तक है, वहीं रेंज तो 290 से 600 किलोमीटर तक रहती है। वर्तमान में तीनों ही सेनाओं के पास ब्रह्मोस के वैरिएंट्स मौजूद हैं। जानकार मानते हैं कि ब्रह्मोस की बड़ी खासियत यह है कि यह मजबूत से मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर को तोड़ सकती है, इसी वजह से बंकर और अंडरग्राउंड फैसिलिटी को ध्वस्त करने में ये कारगर मानी जाती हैं। वैसे चर्चा तो ब्रह्मोस 2 की भी हो रही है, वो हाइपरसोनिक मिसाइल होगी जिसकी रेंज 600 से 1000 किलोमीटर रहने वाली है।

भारत के पास लंबी दूरी वाली सबसोनिक क्रूज मिसाइल मौजूद है, यह मिसाइल भी 200 से 300 किलोग्राम वजनी पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में पूरी तरह सक्षम है। रफ्तार की बात करें तो ये मिसाइल 864 से 1111 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति पकड़ सकती है। निर्भय की रेंज 1500 किलोमीटर तक बताई जा रही है। कम ऊंचाई पर भी यह मिसाइल आसानी से उड़ सकती है, इसके ऊपर गहराई तक वार करने की क्षमता भी यह रखती है। लेकिन जानकार बताते हैं कि अंडरग्राउंड फैसिलिटी को टारगेट करना इस मिसाइल की सबसे बड़ी खूबी नहीं है।

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अब भारत के पास ये सारी मिसाइलें मौजूद हैं, लेकिन यह भी एक बड़ा सच है कि हमारे देश कभी भी सबसे पहले वार करने में विश्वास नहीं रखता है। 2003 में भारत की न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन प्रकाशित हुई थी, उसको तैयार करने का काम आज के विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता के सुब्रमण्यम ने किया था। चार सिंद्धाओं पर भारत की न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन टिकी हुई है

पहला सिद्धांत- भारत कभी भी सबसे पहले किसी भी मुल्क पर परमाणु हमला नहीं करेगा। वो सिर्फ उसी स्थिति में न्यूक्लियर अटैक करेगा अगर उसका दुश्मन देश पहले उस पर परमाणु वार करेगा। भारत की यह भी स्पष्ट नीति है कि वो किसी भी नॉन न्यू्क्लियर स्टेट पर परमाणु अटैक नहीं करेगा।

दूसरा सिद्धांत- भारत अपने पास परमाणु हथियार सिर्फ इसलिए रखता है क्योंकि वो अपने दुश्मन देश को बताना चाहता है कि वो ऐसा कोई भी हमला उस पर करने के बारे में ना सोचे। भारत इसे अपने लिए सुरक्षा की गारंटी के रूप में देखता है।

तीसरा सिद्धांत- अगर भारत पर न्यूक्लियर अटैक किया जाएगा तो वो ऐसी कार्रवाई करेगा जिससे उसके दुश्मन देश की मिलिट्री ताकत पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी।

चौथा सिद्धांत- अगर विदेशी धरती पर भी भारत के मिलिट्री बेस या दूसरे रणनीतिक स्थानों पर केमिकल या न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल होगा तो भारत भी उसी भाषा में जवाब देगा।

अब यहां पर स्पष्ट कर देना जरूरी है कि भारत ने कभी भी पाकिस्तान के न्यूक्लियर साइट्स पर अटैक करने की बात नहीं की है। भारत की लड़ाई पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों के खिलाफ है, ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भी सिर्फ आंतकी ठिकानों को निशाने पर लिया गया। बात सिर्फ इतनी है कि भारत भी अमेरिका जैसी काबिलियत रखता है, वो भी जरूरत पड़ने पर अंडरग्राउंड फैसिलिटी को ध्वस्त कर सकता है।

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