तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के पहले टेस्ट के तीसरे दिन रविवार (22 जून) को खेल शुरू होने से पहले भारत और इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने इंग्लैंड और ग्लूस्टरशायर के पूर्व तेज गेंदबाज डेविड ‘सिड’ लॉरेंस को श्रद्धांजलि दी। उनका शनिवार (21 जून) को 61 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दोनों टीमों के खिलाड़ी बांह पर काली पट्टी बांधकर भी उतरे।
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इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने लॉरेंस को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह एक ऐसे तेज गेंदबाज थे जिनके करियर और करेक्टर ने इंग्लिश क्रिकेट पर अमिट छाप छोड़ी है। लॉरेंस अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले ब्रिटिश मूल के अश्वेत खिलाड़ी थे। उन्होंने 1988 से 1992 के बीच पांच टेस्ट और एक वनडे मैच में 22 विकेट लिए।
ईसीबी ने कहा, “लॉरेंस ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी गति, आक्रामकता और प्रतिस्पर्धी की भावना दिखाई। उन्होंने 1991 में आया जब उन्होंने ओवल में वेस्टइंडीज के खिलाफ 106 रन देकर 5 विकेट लिए।” लॉरेंस का अंतरराष्ट्रीय करियर 1992 में न्यूजीलैंड के वेलिंगटन में एक टेस्ट मैच के दौरान घुटने में लगी चोट के कारण दुखद रूप से समाप्त हो गया।
जून 2024 में लॉरेंस को मोटर न्यूरॉन बीमारी (MND) का पता चला। यह एक ऐसी घातक बीमारी है जो मांसपेशियों को प्रभावित करती है। लॉरेंस ने इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित अपनी आत्मकथा इन सिड्स वॉयस में इस बीमारी के बारे में भी लिखा था।
क्रिकेट और समुदाय के लिए सेवाओं के सम्मान में लॉरेंस को 2025 के किंग्स बर्थडे ऑनर्स में MBE नियुक्त किया गया। इस साल की शुरुआत में, लॉरेंस को ईसीबी के मानद आजीवन उपाध्यक्षों में से एक भी नामित किया गया था।अ सीमित अंतरराष्ट्रीय करियर के बावजूद लॉरेंस ने घरेलू सर्किट में धूम मचाई और उन्हें अपनी पीढ़ी के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक माना जाता था। 185 प्रथम श्रेणी मैचों में लॉरेंस ने 115 मैच में 155 लिस्ट ए विकेट लेने के अलावा 515 विकेट हासिल किए।