मौनी अमावस्या के अवसर पर प्रयागराज महाकुंभ के संगम क्षेत्र में मंगलवार देर रात पवित्र स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के पहुंचने से मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 घायल हो गए। घटना के लगभग 16 घंटे बाद बुधवार शाम को भगदड़ में 30 लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीजीआई) वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मृतकों में से 25 लोगों की पहचान हो चुकी है जबकि शेष की शिनाख्त की जानी है।

अधिकारी ने बताया कि मृतकों में कर्नाटक के चार, असम और गुजरात से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं। डीआईजी के मुताबिक, 36 घायलों का इलाज स्थानीय मेडिकल कॉलेज में किया जा रहा है और कुछ घायलों के परिजन उन्हें लेकर चले गए हैं। इस सबके बीच महाकुंभ मेला शुरू होने के बाद से ही DIG वैभव कृष्ण चर्चा में हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने डीआईजी वैभव कृष्ण को आजमगढ़ से हटाकर महाकुंभ का डीआईजी नियुक्त किया था।

वैभव कृष्ण उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले हैं। वे 2010 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। वैभव ने आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया है। इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने 2009 में यूपीएससी एग्जाम पास किया। उन्हें UPSC में देशभर में 86वीं रैंक मिली थी। आजमगढ़ से पहले उन्होंने नोएडा में एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) के रूप में काम किया था।

नोएडा में अपने कार्यकाल के दौरान वैभव कृष्ण ने अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ़ अभियान चलाया था। उन्होंने कई पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ़ कार्रवाई की मांग करते हुए सरकार को एक पत्र भी लिखा था।

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इस सबके बीच उनका एक वीडियो सामने आया था जिसमें कथित तौर पर उन्हें एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। घटना के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था लेकिन वैभव कृष्ण ने दावा किया कि वीडियो फेक है और इस संबंध में FIR भी दर्ज कराई थी। जिसके बाद उन्हें 14 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था (जनवरी 2019 से शुरू)।

वैभव कृष्ण को मार्च 2021 में बहाल करने के बाद उन्हें लखनऊ में पुलिस अधीक्षक प्रशिक्षण एवं सुरक्षा की भूमिका सौंपी गई। निलंबन के समय वे नोएडा के एसएसपी थे। उनके निलंबन के बाद नोएडा में एसएसपी का पद समाप्त कर दिया गया, इस तरह वैभव कृष्ण नोएडा के आखिरी एसएसपी बन गए।

वहीं, दूसरी ओर वैभव कृष्ण ने कुंभ मेले में भगदड़ घटना की वजह के बारे में बताया कि मौनी अमावस्या के मुख्य स्नान पर्व पर ब्रह्म मुहूर्त से मंगलवार देर रात एक से दो बजे के मध्य मेला क्षेत्र में अखाड़ा मार्ग पर भारी भीड़ का दबाव बना और उस दबाव के कारण दूसरी ओर के बैरिकेट्स टूट गए। उन्होंने बताया, “घाट पर ब्रह्म मुहूर्त के स्नान के इंतजार में बैठे और कुछ लेटे हुए श्रद्धालुओं को इस भीड़ ने कुचलना शुरू कर दिया। हालांकि प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य करते हुए कॉरिडोर बनाया और एंबुलेंस के माध्यम से लगभग 90 घायलों को अस्पताल तक पहुंचाया, लेकिन उसमें से 30 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई।”

मेला डीआईजी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला प्रशासन द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया गया है जिस पर यदि कोई व्यक्ति लापता है तो उसके संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि 29 जनवरी के स्नान के लिए शासन ने वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं देने के लिए सख्त निर्देश दिए थे। कृष्ण ने बताया कि उसके अनुरूप मेला प्रशासन ने कोई भी वीआईपी प्रोटोकॉल को नहीं माना और तीन फरवरी को बसंत पंचमी पर्व पर भी काफी भीड़ होने की संभावना है और उसमें भी वीआईपी प्रोटोकॉल को लागू नहीं किया जाएगा।पढ़ें- महाकुंभ में कैसे मची भगदड़ और कितने लोगों की हुई मौत? प्रशासन ने दी जानकारी