मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बीरेन सिंह अब मणिपुर के केयरटेकर मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली में बीजेपी जल्द ही नए मुख्यमंत्री पर फैसला ले सकती है। पिछले डेढ़ साल से मणिपुर में कुकी और मेतेई समुदाय के बीच खूनी संघर्ष चल रहा है। यानी मणिपुर हिंसा की आग में लिपटा हुआ है। दिल्ली चुनाव के नतीजों के कुछ घंटे बाद ही मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया।

सूत्रों के अनुसार मणिपुर के भाजपा विधायक बीरेन सिंह से नाराज चल रहे थे और इसका पता केंद्रीय नेतृत्व को चल चुका था। 10 फरवरी से मणिपुर विधानसभा का सत्र भी शुरू होने वाला था। माना जाता है कि भाजपा के ही विधायक सदन में सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकते हैं। राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में बीरेन सिंह ने कहा कि मणिपुर के लोगों लिए सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। उन्होंने कहा कि मैं हर एक मणिपुरी के हित की रक्षा के लिए समय पर की गई कार्रवाई और विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं।

भाजपा सांसद और वरिष्ठ नेता संबित पात्रा मणिपुर में ही हैं और उन्होंने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात भी की है। कहा जा रहा है कि वह मणिपुर में नए सीएम के नाम पर चर्चा के लिए वहां मौजूद हैं। मणिपुर के नए सीएम के लिए वहां के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह, कैबिनेट मंत्री टी विश्वजीत सिंह और विधानसभा स्पीकर टी सत्यव्रत का नाम सबसे आगे चल रहा है।

बीरेन सिंह ने क्यों दिया इस्तीफा, कांग्रेस नेता ने बताई वजह

बीरेन सिंह ने अपने पत्र में केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वर्तमान विकास कार्य के कामों को जारी रखा जाए। उन्होंने कहा कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य में से एक रहा है और इसे मैं गिनाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता हजारों वर्षों की समृद्ध और विविध सभ्यतागत इतिहास रहा है।

बता दें कि 27 मार्च 2023 को मणिपुर हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया था, जिसमें राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की बात पर जल्द विचार करने को कहा था। इस आदेश के कुछ दिन बाद ही कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में कई लोगों की जान भी गई।