Disturbed Areas Act In Gujarat: सूरत के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने हाल ही में पुराने शहर के सलाबतपुरा क्षेत्र में एक संपत्ति को सील कर दिया। इसकी मालिक एक हिंदू महिला ने इसे एक मुस्लिम महिला को बेच दिया। इसको जिला कलेक्टर ने अशांत क्षेत्र अधिनियम का उल्लंघन बताया। हालांकि, यह बिक्री अभी पूरी नहीं हुई थी। लेकिन इसे गुजरात अशांत क्षेत्र अधिनियम की धारा पांच का पूरी तरह से उल्लंघन माना गया।

गुजरात अशांत क्षेत्र अधिनियम की धारा 5 ए और बी के तहत संपत्ति बेचने का इरादा रखने वाले शख्स को मंजूरी के लिए कलेक्टर के पास में आवेदन करना होगा। कलेक्टर इसकी जांच करता है और तमाम पक्षों की सुनवाई करता है और सौदे को मंजूरी देने और इसे मना करने का भी अधिकार वह अपने पास में रखता है।

अब अशांत क्षेत्र अधिनियम की बात की जाए तो यह गुजरात में अशांत क्षेत्र अधिनियम का विधेयक साल 1986 में पेश किया गया था। 1991 में इसे क़ानून बनाया गया। अशांत क्षेत्र अधिनियम के मुताबिक अशांत घोषित क्षेत्रों में संपत्ति बेचने से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना अनिवार्य है। इस अधिनियम के तहत हर पांच साल में एक नई अधिसूचना जारी की जाती है और आवश्यकता के अनुसार इसमें नए क्षेत्र जोड़े जाते हैं।

आवेदन में विक्रेता को एक हलफनामा देना होता है। इसमें कहा गया हो कि उसने अपनी मर्जी से संपत्ति बेची है और उसे सही दाम मिले हैं। अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कारावास और जुर्माना हो सकता है। गुजरात सरकार के अनुसार इस अधिनियम का मकसद राज्य के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को रोकना है। 2020 में गुजरात सरकार ने अधिनियम की कुछ धाराओं में संशोधन किया। इसकी वजह से कलेक्टर को और भी ज्यादा शक्तियां मिल गईं।

संशोधन होने से पहले कलेक्टर विक्रेता की तरफ से दिए जाने वाले हफलनामे के बाद संपत्ति को ट्रांसफर करने की इजाजत देता था कि वह अपनी मर्जी से संपत्ति को सही दाम पर बेच रहा है। संशोधन होने के बाद में कलेक्टर को यह पता लगाने का अधिकार मिला कि क्या बिक्री के जरिये किसी खास समुदाय से संबंधित लोगों के ध्रुवीकरण की संभावना है। इसने राज्य सरकार को कलेक्टर के फैसले की समीक्षा और जांच करने का अधिकार भी दिया, भले ही उसके खिलाफ कोई अपील दायर न की गई हो। संशोधनों के तहत उल्लंघन के लिए कारावास को छह महीने से बढ़ाकर तीन से पांच साल कर दी गई।

गुजरात के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अभय चुडासमा ने क्यों दिया इस्तीफा?

गुजरात हाई कोर्ट में डिस्टर्ब्ड एरिया में संपत्ति के ट्रांसफर के कई मामलों को चुनौती दी गई। अकेले वडोदरा में ही 2016 से समुदायों के बीच संपत्ति की बिक्री के पांच मामलों को चुनौती दी गई। पड़ोसियों ने बिक्री पर आपत्ति जताते हुए याचिका दायर की। इनमें से कम से कम तीन मामलों में कोर्ट ने तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी के लिए एक लाइन खींची और सौदे के पक्ष में आदेश दिए। अक्टूबर 2023 में गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि वह संशोधनों पर फिर से विचार कर रही है और नए संशोधन लेकर आएगी। यह संशोधनों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में था।

इस अधिनियम के तहत अहमदाबाद , वडोदरा, सूरत , आनंद, अमरेली, भावनगर, पंचमहल और अन्य जिलों के कई इलाके आते हैं और नए क्षेत्रों को इसमें जोड़ा जा रहा है। गुजरात सरकार ने पिछले महीने आनंद जिले के मौजूदा इलाकों में इस अधिनियम के लागू होने की अवधि को अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया था।  गुजरात मेडिकल कॉलेज में रैगिंग पढ़ें पूरी खबर…