New Income Tax Bill 2025 LIVE Updates: संसद के दोनों सदनों में आज (10 फरवरी 2025) सुबह बजट सत्र दोबारा शुरु होगा। पिछले हफ्ते शुक्रवार (7 फरवरी 2025) को केंद्रीय कैबिनेट ने नए इनकम टैक्स बिल को मंजूरी दी थी। आज लोकसभा में इस बिल को पेश किए जाने की उम्मीद है। टैक्स सिस्टम को बेहतर बनाने के इरादे से इस बिल को पेश किया जा रहा है ताकि यह प्रक्रिया पहले से ज्यादा आसान और स्पष्ट हो सके।
केंद्रीय बजट 2025 पेश करते वक्त खुलासा हुआ था कि वित्त मंत्रालय इस सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने नया आयकर विधेयक (New Income Tax Bill) पेश करेगा। बजट के बाद सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल के सुचारू रूप से पारित होने की उम्मीद जताई थी। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि नया बिल पिछले वर्जन की तुलना में 50% छोटा और स्पष्ट होगा। पढ़ें हर अपडेट लाइव…
केंद्रीय बजट 2025 ने वेतनभोगी व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों और घर मालिकों के लिए टैक्स से जुड़ी बड़ी राहतों का ऐलान किया। न्यू टैक्स रिजीम के तहत जीरो टैक्स स्लैब को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया गया है, जिससे जरिए वर्ग के करदाताओं को लाभ होगा।
विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच लोकसभा दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
राज्यसभा अब दोपहर 2:00 बजे के बाद केंद्रीय बजट 2025 पर चर्चा करेगी। बजट पर बहस पूरी करने के लिए सदन आज और मंगलवार को दो घंटे अतिरिक्त बैठेगा।
वित्त मंत्री सीतारमण ने सीमा शुल्क को तर्कसंगत बनाने के बारे में बात करते हुए कहा कि एंटी-डंपिंग शुल्क को अनिश्चित काल तक नहीं बढ़ाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि सरकार मामले-दर-मामले आधार पर उनकी समीक्षा करेगी ताकि व्यापार सुरक्षा और निवेश-अनुकूल नीतियों के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।
डीएमके सांसद कनिमोझी ने बड़े पैमाने पर सोने की नीलामी को लेकर संसद में सवाल उठाए। सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि नीलामी एक कड़ी प्रक्रिया का पालन करते हुए की जाती है। वित्त राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि आरबीआई ने सभी को अपने सोने के पोर्टफोलियो पर नज़र रखने का निर्देश दिया था।
नए इनकम टैक्स को लेकर खबरे हैं कि यह बिल मौजूदा आयकर विधेयक से 50 प्रतिशत छोटा होगा। ताकि टैक्सपेयर्स आसानी से इसे समझ सकें। इसके अलावा इसकी भाषा को भी ज्यादा यूजर-फ्रेंडली बनाया जा रहा है ताकि टैक्स से जुड़ी कानूनी जटिलताओं को कम किया जा सके।
टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि नया इनकम टैक्स बिल नए टैक्सों को जोड़ने के बजाय सरलीकरण और आधुनिकीकरण पर ध्यान देकर भारत के टैक्सेशन सिस्टम को महत्वपूर्ण तौर पर बदल देगा। हालांकि, पूर्ण विवरण अभी तक उपलब्ध नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि विधेयक कानूनी जटिलताओं को कम करेगा, अनुपालन को आसान बनाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कर कानून करदाताओं के लिए अधिक समझने योग्य हों।
वित्त मंत्री ने अपने बजट 2025 भाषण में नए आयकर विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा था कि यह टैक्सपेयर्स के लिए आसान, सीधा और समझने योग्य होगा। उन्होंने बजट सत्र के दौरान संसद में नया बिल पेश किए जाने की पुष्टि की और कहा कि एक बार प्रभावी होने के बाद, नया बिल कानूनी विवादों को कम कर देगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले कहा था कि नए आयकर विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद संसद के दोनों सदनों में पेश करना होगा। फिर इसे संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे आगे की चर्चा के लिए कैबिनेट के पास वापस भेजा जाएगा।
4 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं
4 लाख से 8 लाख तक की आय पर 5% टैक्स।
8 लाख से 12 लाख तक की आय पर 10% टैक्स।
12 लाख से 16 लाख तक की आय पर 15% टैक्स।
16 लाख से 20 लाख तक की आय पर 20% टैक्स।
20 लाख से 24 लाख तक की आय पर 25% टैक्स।
24 लाख से ऊपर की आय पर 30% टैक्स।
बजट 2025 ने नई कर व्यवस्था (new tax regime) के तहत ₹12 लाख तक की आय को प्रभावी रूप से टैक्स फ्री कर दिया है। वित्त मंत्री ने नो-टैक्स सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया और संशोधित टैक्स स्लैब पेश किए।
केंद्रीय बजट 2025 ने टैक्सपेयर्स के लिए प्रासंगिक एसेसमेंट ईयर के बाद अपडेटेड आयकर रिटर्न (आईटीआर-यू) दाखिल करने का समय दो साल से बढ़ाकर चार साल कर दिया है। इससे टैक्सपेयर्स को अपनी गलतियां सुधारने, अपनी छूटी हुई आय की रिपोर्ट करने और कर नियमों का पालन करने के लिए अधिक समय मिलता है।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बजट सत्र आज फिर से शुरू हो गया है। साल 2025 के दिल्ली चुनावों में भाजपा की बड़ी जीत के बाद एनडीए सांसदों ने उच्च सदन में ‘मोदी, मोदी’ के नारे लगाए।
कहा जा रहा है कि नया इनकम टैक्स बिल, 1961 के आयकर अधिनियम (1961 Income Tax Act की जगह लेगा। नए विधेयक का मकसद टैक्स कानूनों को सरल बनाना और इससे जुड़े भ्रम को खत्म करना है। सरकार की योजना नए बिल की लंबाई आधी करने और सरल भाषा का इस्तेमाल करने की है, जिससे टैक्सपेयर्स को अपने कर कर्तव्यों के बारे में जानकारी स्पष्ट हो जाएगी। इससे कानूनी विवाद कम होने चाहिए और विवादित कर मांगों में कमी आनी चाहिए। यह अनावश्यक अनुभागों को हटा देगा और स्पष्ट भाषा पर ध्यान केंद्रित करेगा जिसे लोग विशेषज्ञ कर सहायता की आवश्यकता के बिना समझ सकें।