पश्चिम बंगाल के रानीगंज में होटल संचालक सुमित साओ (Sumit Sao) ने हाल ही में मरकचो पुलिस को फोन कर बताया कि वे कई सालों से एक व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, जो खुद को भूल चुका था। उनके पिता ने महतो को होटल में नौकरी दी थी, जहां सभी उन्हें प्यार से “पहलवान” कहते थे।

साओ के मुताबिक, सबकुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन हाल ही में जब होटल में महाकुंभ की चर्चा हुई, तो महतो अचानक कहने लगे— “मुझे कुंभ में जाना है, मेरा घर रास्ते में ही है!” यह सुनकर साओ को शक हुआ और उन्होंने आगे पड़ताल की।

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साओ ने तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद पुलिस ने महतो के परिवार से संपर्क किया। परिवार ने जब पहचान की पुष्टि की, तो 7 जनवरी को मरकचो पुलिस स्टेशन में भावुक मिलन हुआ। महतो के परिवारवालों की आंखों में आंसू थे, और इतने सालों बाद उन्हें घर लौटता देखना किसी चमत्कार से कम नहीं था।

परिवार ने महतो को संभालने और इतने सालों तक उन्हें आश्रय देने के लिए होटल मालिक साओ और उनके परिवार को धन्यवाद दिया। झारखंड पुलिस ने भी इस पूरे घटनाक्रम में सराहनीय भूमिका निभाई और महतो को परिवार तक सुरक्षित पहुंचाया। अब महतो अपने परिवार के साथ हैं, और उनकी कहानी एक मिसाल बन गई है कि यादें कभी-कभी चमत्कारिक तरीके से लौट आती हैं!