China on Modi-Trump Meeting: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रंप की अहम मुलाकात संपन्न हो चुकी है, द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कई बड़े करार भी हुए हैं। उस बातचीत के दौरान चीन का जिक्र भी हुआ, उसकी बढ़ती ताकत पर भी मंथन किया गया। अब चीन की तरफ से उसी जिक्र को लेकर नाराजगी जाहिर कर दी गई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा है कि दो देशों की बैठक में किसी तीसरे देश का नाम आना ठीक नहीं है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने जोर देकर कहा कि द्विपक्षीय बातचीत के दौरान किसी तीसरे देश को लक्षित करना सही परंपरा नहीं है। दो देशों के बीच जो भी सहयोग हो, उसमें चीन को मुद्दा बनाना गलत है, किसी भी सूरत में टकराव को बढ़ाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। गुओ ने यहां तक कहा कि किसी भी कीमत पर दूसरों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए, क्षेत्रीय शांति, स्थिरता को याद रखना चाहिए।
अब यह कोई पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह की प्रतिक्रिया दी हो। इससे पहले भी चीन ऐसे ही नाराजगी व्यक्त कर चुका है। असल में जब भी भारत और अमेरिका की मुलाकात होती है या फिर जब भी क्वाड देश एक दूसरे से मिलते हैं, चीन इसे अपने खिलाफ एक बड़ी साजिश के रूप में देखता है। वैसे मीडिया बातचीत के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को एक अहम देश जरूर माना था, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि वे किसी को भी मात दे सकते हैं, लेकिन ऐसा करेंगे नहीं और सही दिशा में आगे बढ़ने पर जोर देंगे।
ट्रंप ने तो यहां तक माना कि रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने में चीन एक जरूरी भूमिका निभा सकता है। इसी तरह भारत को लेकर भी अमेरिका कह चुका है कि शांति स्थापित करने में एक पहल की जा सकती है। अगर मोदी-ट्रंप मीटिंग की बात करें तो कई अहम डील हुई हैं। पांच डील इस प्रकार हैं-
रक्षा के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच में एक बड़ी डील हुई है। इस डील के तहत अब जाकर अमेरिका भारत को F35 स्टेल्थ फाइटर जेट उपलब्ध करवाने वाला है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे लेकर कहा कि इस साल ही अब भारत के साथ अपनी मिलिट्री सेल्स को काफी ज्यादा बढ़ाने जा रहे हैं। इसके ऊपर अब भारत को F35 स्टेल्थ फाइटर जेट देंगे।
अमेरिका India-Middle East-Europe Economic Corridor के लिए तैयार हो गया है। असल में यह एक ऐसा गलियारा है जिसके जरिए शिया, अरब की खाड़ी, और यूरोप के बीच आर्थिक एकीकरण और कनेक्टिविटी को जबरदस्त बढ़ावा मिल सकता है। इसके ऊपर जानकार मानते हैं कि इस रूट के जरिए आर्थिक विकास में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इसकी अहमियत इस वजह से भी बढ़ जाती है कि यह कॉरिडोर चीन के रोड एंड बेल्ट प्रोजेक्ट के काउंटर में देखा जाता है।
डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी ने इस बात पर सहमति दे दी है कि भारत और अमेरिका के बीच में ट्रेड को डबल किया जाएगा। वर्तमान में भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड 129.2 बिलियन डॉलर चल रहा है, लेकिन 2030 तक इसी आंकड़े को 500 बिलियन डॉलर लेकर जाना है।
बातचीत के दौरान एक बड़ी डील तेल और गैस की खरीद को लेकर हुई है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका तेल और गैस सप्लाई करने के मामले में भारत का सबसे बड़ा सप्लायर बनने वाला है। एनर्जी के क्षेत्र में सहयोग को ऐतिहासिक रूप से बढ़ाया जाएगा।
ट्रंप और मोदी के बीच में एक बड़ा ऐलान दो नए दूतावास खोलने को लेकर भी हुआ है। पीएम मोदी ने बताया है कि जल्द ही बोस्टन और लॉस एंजेल्स में दो दूतावास खुलने वाले हैं। इस बारे में पीएम मोदी ने कहा कि इन दूतावासों की वजह से भारत और अमेरिका के पीपल टू पीपल वाले रिश्ते और ज्यादा मजबूत होंगे। पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका में रह रहे भारतीय हमारे लिए काफी जरूरी हैं। वैसे अगर मोदी-ट्रंप की दूसरे मुद्दों पर हुई बातचीत के बारे में जानना है तो यहां क्लिक करें