महाभारत में भीष्म एक ऐसे नायक हैं, जिनका जीवन त्याग, कर्तव्य और धैर्य का प्रतीक है। वह एक बार प्रतिज्ञा कर लेते थे, तो उसको कभी नहीं तोड़ते थे। यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने रौद्र रूप में अर्जुन के बाद भीष्म पितामह को भी युद्ध के मैदान में उपदेश के लिए चुना था।

ऐसे में अगर आप भी अपने जीवन में कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, या फिर कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा हो, तो भीष्म पितामह की कही कुछ बातों को याद कर सकते हैं। ये बातें आपको कठिन समय में साहस देने के साथ-साथ मार्गदर्शन भी करेंगी।

मनुष्य को अपने धर्म का पालन हर स्थिति में करना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो ।

भीष्म पितामह ने अपने जीवन में जो भी कहा, उसे पालन किया। इसके लिए उन्हें अपने व्यक्तिगत सुख का त्याग भी करना पड़ा। यह सिखाता है कि जब राह कठिन हो, तो अपने धर्म और जिम्मेदारियों पर टिके रहना चाहिए।

आत्मसंयम सबसे बड़ा शस्त्र है।

कठिन समय में भावनाओं पर नियंत्रण रखना और शांत रहकर निर्णय लेना, भीष्म पितामह की सबसे बड़ी सीखों में से एक है।

समय बलवान है। वह सब कुछ बदल सकता है।

भीष्म पितामह कहते हैं कि समय सबसे बलवान है और सबका समय बदलता है। अगर आप भी जीवन में निराश रहते हैं, तो भीष्म पितामह की यह बात आपको गांठ बांध लेनी चाहिए। विपरीत समय में धैर्य और आत्मविश्वास बनाए रखें।

ज्ञान सबसे बड़ी संपत्ति है- जिसके पास ज्ञान है, वही सच्चा योद्धा है।

पूरे महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अर्जुन और युधिष्ठिर को कई बार जीवन की गहरी बातें समझाईं। उनका मानना था कि ज्ञान और विवेक से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है। ऐसे में जिसके पास ज्ञान होता है, वही सच्चा योद्धा होता है।

भीष्म पितामह कहते हैं कि कठिनाइयां हमें आत्मचिंतन करने का अवसर देती हैं।