Income Tax Rules: अगर आपने होम लोन लेकर नया घर बनवाया है या अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट में निवेश किया है, तो आप एक टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। घर तैयार होने तक आप लोन पर जो ब्याज देते हैं, उसे ‘प्री-कंस्ट्रक्शन इंटरेस्ट’ कहते हैं। आप इस ब्याज पर भी आयकर छूट का दावा कर सकते हैं। इसके लिए बस यह शर्त है कि आप इसे समय पर और सही तरीके से आईटीआर फाइल करते समय क्लेम करें।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, सीए (डॉ.) सुरेश सुराणा ने कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 (जिसे आगे आईटी अधिनियम के रूप में संदर्भित किया जाता है) की धारा 24(B) ब्याज की कटौती की अनुमति देती है, जहां प्रॉपटी लोन ली गई कैपिटल से अर्जित, निर्मित, मरम्मत, नवीनीकरण या पुनर्निर्माण की गई हो। ऐसे मामले में जहां अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपटी के संबंध में होम लोन पर ब्याज का भुगतान किया जाता है, उसे प्री-कंस्ट्रक्शन अवधि इंटरेस्ट कहा जाता है।
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उन्होंने कहा कि प्री-कंस्ट्रक्शन अवधि लोन लेने की डेट से शुरू होती है। कंस्ट्रक्शन पूरा होने वाले पिछले वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन यानी कंस्ट्रक्शन पूरा होने वाले वर्ष की 31 मार्च या लोन के रिपेमेंट की डेट (जो भी पहले हो) को समाप्त होती है।
आप इस ब्याज का क्लेम एक बार में नहीं बल्कि कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद 5 साल तक हर साल बराबर हिस्सों में कर सकते हैं। इसको एक उदाहरण से समझा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने घर बनने से पहले 1 लाख रुपये का ब्याज चुकाया है, तो आप अगले 5 वर्ष तक अपने आईटीआर में हर साल 20,000 रुपये की कटौती दिखा सकते हैं। यह 2 लाख रुपये की सालाना लिमिट में शामिल होगा।
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बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी की सचिव किंजल भूटा ने 5 वर्षों के दौरान भुगतान की गई ब्याज राशि पर लाभ का क्लेम करने के स्टेप बताई है।
प्री-कंस्ट्रक्शन ब्याज यानी किसी प्रॉपटी के कंस्ट्रक्शन के लिए लोन की गई राशि पर ब्याज है। टैक्सपेयर्स को पहले निर्माण के वर्ष तक लोन ली गई राशि पर ईएमआई भुगतान से ब्याज कंपोनेंट को डिवाइड करके पता लगाना होगा। ब्याज कंपोनेंट से, ब्याज की कोई भी राशि, यदि इसे पिछले या चालू वर्ष में इनकम टैक्स से कटौती के रूप में दावा किया गया है, तो उसे घटा दिया जाना चाहिए।
ब्याज की शेष राशि को 5 से डिवाइड किया जा सकता है और कंस्ट्रक्शन पूरा होने वाले वर्ष और उसके बाद के 4 वर्षों में क्लेम किया जा सकता है। सेल्फ ऑक्यूपाइड हाउस प्रॉपर्टी के लिए हाउस लोन ब्याज पर अधिकतम कटौती 2,00,000 रुपये तक सीमित है और प्री-कंस्ट्रक्शन इंटरेस्ट भी इस समग्र सीमा का हिस्सा है।
किराए पर दी गई संपत्ति में ऐसी कोई सीमा नहीं है। आईटीआर में, इस ब्याज का क्लेम अनुसूची एचपी में ‘उधार ली गई पूंजी पर ब्याज’ शीर्षक के तहत किया जा सकता है।