Adani Group US Probe: मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रुप को लेकर अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट पब्लिश की है और कहा है कि अमेरिकी न्याय विभाग अडानी ग्रुप और ईरान के बीच LPG ट्रेड डील की जांच कर रही है। आरोप हैं कि अडानी ग्रुप अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से पेट्रो केमिकल्स का इंपोर्ट कर रहा है। हालांकि, इन दावों को अडानी ग्रुप ने सिरे से खारिज कर दिया है।

यर रिपोर्ट ऐसे समय में हुआ कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन कुछ सफेदपोश अपराधों के प्रवर्तन पर रोक लगा रहा है, जिनमें विदेशी रिश्वतखोरी और प्रतिबंधों से बचने से संबंधित मामले भी शामिल हैं। WSJ की रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात के मुंद्रा और फारस की खाड़ी के बीच यात्रा करने वाले टैंकरों में प्रतिबंधों से बचने वाले जहाजों के समान लक्षण दिखाई दिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी न्याय विभाग अडानी एंटरप्राइजेज को माल भेजने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई एलपीजी टैंकरों की गतिविधियों की समीक्षा कर रहा है।

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एक बयान में अडानी समूह ने कहा कि रिपोर्ट निराधार और शरारती है। अडानी ग्रुप प्रतिबंधों की चोरी या ईरानी मूल के एलपीजी से जुड़े व्यापार में किसी भी जानबूझकर संलिप्तता से स्पष्ट रूप से इनकार करता है। इसके अलावा, हमें इस विषय पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा किसी भी जांच की जानकारी नहीं है।

अडानी ग्रुप की तरफ से कहा गया कि WSJ की कहानी पूरी तरह से गलत धारणाओं और अटकलों पर आधारित प्रतीत होती है। किसी भी सुझाव का दृढ़ता से खंडन किया जाता है कि अडानी समूह की संस्थाएं जानबूझकर ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रही हैं। इसके विपरीत कोई भी दावा न केवल बदनामीपूर्ण होगा, बल्कि अडानी समूह की प्रतिष्ठा और हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर किया गया कार्य भी माना जाएगा। इस संबंध में अडानी समूह की संस्थाओं और कर्मियों के अधिकार स्पष्ट रूप से सुरक्षित हैं।

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इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि ईरान से तेल या पेट्रोकेमिकल खरीदने वाले किसी भी देश या व्यक्ति पर तत्काल द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जिससे उन्हें अमेरिका के साथ व्यापार करने से प्रभावी रूप से रोक दिया जाएगा। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में यह बयान दिया, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी संस्थाओं को अमेरिका के साथ किसी भी तरह के व्यापार में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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यह चेतावनी जाहिर तौर पर ईरान के खिलाफ ट्रंप के अधिकतम दबाव अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ईरान के तेल निर्यात को पूरी तरह से बंद करना है। ट्रंप ने ईरान पर आतंकवादी समूहों को फंड करने का आरोप लगाया और ईरान को परमाणु बम विकसित करने से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी टिप्पणियां चीन पर लक्षित प्रतीत होती हैं, जो ईरान से प्रतिदिन 1 मिलियन बैरल से अधिक आयात करता है लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों से चीन में ईरान से आने वाले तेल पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है, जब तक कि व्हाइट हाउस बीजिंग के सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों और बुनियादी ढांचे को निशाना नहीं बनाता।

बता दें कि ट्रंप ने ईरान के मामले में कड़ा रुख अपनाया है जिसमें पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा तय किए गए परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालना भी शामिल है। यह कदम ओपेक के सदस्य वेनेजुएला से तेल खरीदने वाले देशों पर द्वितीयक टैरिफ लगाने के उनके पहले के फैसले के अनुरूप है। इन प्रतिबंधों और टैरिफ के निहितार्थ वैश्विक तेल बाजार और चीन और ईरान जैसे प्रमुख खिलाड़ियों के साथ अमेरिका के संबंधों पर दूरगामी परिणाम होने की संभावना है।

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