5 जून से 10 जून 1967 के बीच इजरायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच लड़े गए 6 दिवसीय युद्ध को 57 साल बीत चुके हैं। इस छोटे युद्ध ने न सिर्फ मिडिल ईस्ट के इतिहास को आकार दिया बल्कि क्षेत्र के मानचित्र को भी बदल दिया है साथ ही इसमें शामिल देशों के संबंधों को भी हमेशा के लिए बदल दिया। आइए इस युद्ध के बारे में विस्तार से जानते हैं।
यह 6 दिवसीय युद्ध इजरायल और उसके अरब पड़ोसियों ((मुख्य रूप से मिस्र, जॉर्डन और सीरिया) जिनके साथ इजरायल की सीमाएं जुड़ी हुई हैं, उनके बीच बढ़ते तनाव का नतीजा था। इन तनावों की शुरुआत इजरायल की स्थापना से ही हुई थी, जिसमें हजारों फिलिस्तीनी अरब मारे गए और विस्थापित हुए, जिसके कारण बड़े पैमाने पर शरणार्थी संकट पैदा हो गया। उस दौरान राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासर के नेतृत्व में मिस्र के इजरायल के साथ क्षेत्रीय और जल विवादों के कारण संबंध ठीक नहीं थे।
युद्ध से पहले के सालों में इजरायल और आसपास के अरब राज्यों में शीत युद्ध की तर्ज पर सैन्य निर्माण हुआ – इजरायल को पश्चिम, विशेष रूप से अमेरिका का समर्थन प्राप्त था जबकि अरब राज्यों को सोवियत संघ और उसके सहयोगियों से सैन्य सहायता प्राप्त हुई।
छह दिवसीय युद्ध की शुरुआत मई 1967 में तिरान जलडमरूमध्य की मिस्र की नौसेना द्वारा की गई नाकाबंदी थी। जलडमरूमध्य इजरायल के एलाथ बंदरगाह में जाने का मार्ग है और मिस्र के इस कदम से इजरायल के व्यापार को बड़ा झटका लगा। सिनाई प्रायद्वीप में मिस्र की सेनाओं के जुटने के साथ-साथ, नाकाबंदी ने इजरायल ने कार्रवाई करने का एक बड़ा कारण मिला।
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5 जून को, इजराय ने मिस्र के हवाई अड्डों पर सैन्य हमला किया और मिस्र की वायु सेना को बेअसर कर दिया। इसने सिनाई और मिस्र के कब्जे वाले गाजा पट्टी में एक जमीनी अभियान भी शुरू किया। जवाब में, जॉर्डन और सीरिया ने उत्तर और दक्षिण से इजरायल पर हमला किया। इस युद्ध में इज़रायल ने बहुत तेज़ी से जीत हासिल की। एक हफ़्ते से भी कम समय में उसने मिस्र से सिनाई प्रायद्वीप और गाजा, सीरिया से गोलान हाइट्स और जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम पर कब्ज़ा कर लिया।
इस हार ने अरब देशों को झटका दिया और क्षेत्र में इजरायल की भू-राजनीतिक सर्वोच्चता स्थापित की और इसने महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया। युद्ध ने फिलिस्तीनी राष्ट्रवाद के उदय में योगदान दिया और फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को उभरने में मदद की। क्षेत्र में चल रहे तनाव का कारण भी युद्ध और उसके बाद पूर्वी यरुशलम, पश्चिमी तट और गाजा पर इजरायल का कब्ज़ा है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स