Nirjala Ekadashi 2025 Do and Dont: निर्ज़ला एकादशी हिंदू धर्म में सबसे कठिन लेकिन सबसे पुण्यदायक एकादशी मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन जल का भी त्याग करना होता है, इसलिए इसे “निर्ज़ला” कहा गया है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि महाभारत के भीम ने इसी व्रत को किया था। इस व्रत से साल भर की सभी एकादशियों का फल मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से जीवन की सारी बाधाएं दूर होती हैं और आर्थिक सफलता प्राप्त होती है। हालांकि इस दिन कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन क्या करें और क्या न करें।
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लें। यदि आप निर्ज़ला व्रत रखने की शारीरिक क्षमता नहीं रखते हैं तो फलाहार या केवल जल ग्रहण करके भी श्रद्धा से व्रत कर सकते हैं।
इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा पीले फूलों, तुलसी दल, चंदन और धूप-दीप से करें। इसके अलावा इस दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना शुभ माना जाता है।
निर्ज़ला एकादशी पर गरीबों और जरूरतमंदों को जल, छाता, कपड़े, पंखा, शर्बत, फल, अन्न आदि का दान करना बहुत पुण्यदायी होता है।
दिन भर भगवान का नाम जपें, भजन-कीर्तन करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें। इससे मन शांत रहता है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
इस दिन रात्रि में तुलसी के पास घी का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
इस एकादशी की खास बात है कि इसमें एक बूंद पानी भी नहीं पीया जाता है। इसलिए इस दिन जल और अन्न का सेवन न करें। हालांकि बीमार, बुजुर्ग या गर्भवती महिलाएं अपनी सेहत अनुसार फलाहार कर सकती हैं।
इस दिन झूठ बोलना, किसी से झगड़ा करना या क्रोध करना व्रत को दोषी बना देता है। इसलिए कोशिश करें कि मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
इस दिन मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज, तली-भुनी और अधिक मिर्च-मसाले वाली चीजें न खाएं। यह व्रत की पवित्रता को भंग करता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन बाल या नाखून काटना वर्जित होता है। यह अशुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन किसी की बुराई करना, अपशब्द कहना या किसी को अपमानित करना शुभ नहीं होता। सभी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें।
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