RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत ने कई शताब्दियों तक उत्पीड़न का सामना किया और भारत की सच्ची स्वतंत्रता उस दिन हुई जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत को पहले ही स्वतंत्रता मिल चुकी थी लेकिन इसकी स्थापना नहीं हुई थी।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को “प्रतिष्ठा द्वादशी” के रूप में मनाया जाना चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन एक यज्ञ था और यह किसी का विरोध करने के लिए शुरू नहीं किया गया था। मोहन भागवत इंदौर में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को ‘राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार’ दिए जाने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
#WATCH | Indore, Madhya Pradesh | RSS Chief Mohan Bhagwat says, “…The true independence of India, which had faced many centuries of persecution, was established on that day (the day of Ram Temple’s ‘Pran Pratishtha’). India had independence but it was not established…”… pic.twitter.com/swrpc4T809
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ था और तब हमें राजनीतिक स्वतंत्रता मिल गई थी और संविधान भी मिला लेकिन उसे भावना के अनुसार नहीं चलाया गया। संघ प्रमुख ने कहा कि राम मंदिर का आंदोलन विवाद पैदा करने के लिए शुरू नहीं किया गया था। यह आंदोलन भारत को जागृत करने के लिए किया गया था।
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संघ प्रमुख ने कहा कि जब राम मंदिर आंदोलन चल रहा था तब छात्र मुझसे यह सवाल करते थे कि रोजी-रोटी की जगह मंदिर निर्माण पर जोर क्यों दिया जा रहा है, उस वक्त मैं कहता था कि यह आंदोलन भारत के आत्म जागरण के लिए है।
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